भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा (BSGP) – भारत की गौरवशाली विरासत का पुनरुद्धार
भारत, ऋषि-मुनियों की तपोभूमि, अपनी दिव्य ज्ञान परंपरा से सदियों तक पूरे विश्व को आलोकित करता रहा। परंतु विदेशी आक्रमणों और सांस्कृतिक पतन के कारण यह गौरव धीरे-धीरे क्षीण होने लगा। जगद्गुरु का सम्मान भारत को उसकी सांस्कृतिक जड़ों से मिला था, जिसे ऋषियों और संतों ने अनमोल मूल्यों के माध्यम से स्थिर किया। ये मूल्य आत्मा को परिष्कृत कर व्यक्ति की असीम क्षमताओं को जागृत करने में सहायक हैं।
संस्कृति किसी भी सभ्यता की आधारशिला होती है, जो समाज के नैतिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों को सुदृढ़ करती है। भारतीय संस्कृति, जो आध्यात्मिकता और दर्शन की उत्कृष्टता का प्रतीक है, सम्पूर्ण सृष्टि को एक परिवार मानती है और शोषण रहित संतुलित विकास को बढ़ावा देती है। लेकिन दुर्भाग्यवश, नैतिकता, सामाजिक सद्भावना और आत्मीयता का ह्रास इस दिव्य विरासत को कमजोर कर रहा है, जिसके समाधान हेतु सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
इसी दिशा में युग निर्माण योजना के अंतर्गत भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा एक क्रांतिकारी पहल है। परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा प्रेरित यह अभियान शिक्षा को विद्या से जोड़कर छात्रों के नैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है। इस परीक्षा का उद्देश्य विद्यालयों और युवाओं को सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ना है ताकि भावी पीढ़ी इन दिव्य आदर्शों को आत्मसात कर भारत को पुनः विश्वगुरु बना सके।
शिक्षक और छात्र—ये भविष्य के निर्माता हैं—यदि वे इस सांस्कृतिक जागरण का नेतृत्व करें, तो भारत पुनः अपनी खोई हुई गरिमा को प्राप्त कर सकता है। सनातन मूल्यों की पुनर्स्थापना से संपूर्ण मानवता एक बार फिर से देवत्व की ओर अग्रसर होगी और "मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण" का संकल्प साकार होगा।
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