भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा की पाठ्य पुस्तकें प्रत्येक कक्षाओं के लिए भिन्न-भिन्न होती है। इस पाठ्य पुस्तकों के आधार पर परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र तैयार किये जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न पत्र में 100 प्रश्न (बहुविकल्पीय/चार विकल्पीय) एक-एक अंक का होते है।
प्रत्येक कक्षाओं के प्रश्न पत्रों में आखरी पेज में पाँच-पाँच टाईबे्रकर प्रश्न भी होते हैं। जिसको भरना भी आवश्यक होता है। इन प्रश्नों के उत्तर उस स्थिति में ही जाँचे जाते हैं, जब प्रावीण्य सूची में एक से अधिक छात्र-छात्राओं के परीक्षा प्राप्तांक समान होते हैं। इन टाईब्रेकर प्रश्नों के मूल्यांकन के बाद फाईनल प्रावीण्य सूची तैयार की जाती है।
यह परीक्षा प्रतिवर्ष तीन माहों (सितम्बर, अक्टूबर एवं नवम्बर) के अन्तर्गत पूरे देश भर में आयोजित की जाती है। जिस राज्य को इन तीन तिथियों में जो तिथि राज्यीय परिस्थितियों के अनुरूप ज्यादा सुविधाजनक लगती है, वे राज्य उस तिथि में परीक्षा आयोजन हेतु प्रस्तावित करते हैं। जिनका प्राथमिक निर्धारण का दायित्व उस राज्य के राज्य एवं जिला समन्वयकों की होती है।
भासंज्ञाप का केन्द्र शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित होती है, जिसमें प्रत्येक जिलों एवं राज्यों के समन्वयकों को बुलाया जाता है। इसी संगोष्ठी में परीक्षा रूपरेखा बनाकर तिथियाँ सुनिश्चित की जाती है।
निर्धारित तिथियों के अनुसार ही प्रश्न पत्र तैयार किये जाते है। प्रत्येक तिथि के प्रश्न पत्र भिन्न-भिन्न होते है। जिनको A,B,C कोड्स के साथ तैयार किये जाते है।