1 शिक्षा ही नहीं विद्या भी की अनिवार्य आवश्यकता को अंगीकार कर छात्र-छात्राओं में स्कूली शिक्षा के साथ-साथ नैतिकता, संस्कारिता एवं
आदर्शवादिता जैसे मानवीय मूल्यों का जागरण एवं अभिवर्धन करना।
2 सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक चेतना का जागरण एवं अभिवर्धन कर वैदिक संस्कृति एवं संस्कारों के प्रति आस्था उत्पन्न करना।
3 ऋषिप्रणीत भारतीय संस्कृति की महानता एवं सार्वभौमिकता के महत्त्व से परिचय तथा उसके वैश्विक अस्तित्व का ज्ञान कराना।
4 छात्र-छात्राओं में चारित्रिक परिष्कार, आदर्शवादिता, देवत्व का जागरण जैसे उत्कृष्ठ गुणों का विकास।
5 व्यसन से बचाये, सृजन में लगाये के सूत्र को व्यवहारिक धरातल में समावेश कर छात्र छात्राओं को दुर्व्यसन एवं कुसंगति से बचान।
6 आत्मविश्वास का जागरण - सांस्कृतिक, नैतिक, नि:स्वार्थ, राष्ट्रीय गौरव और मानवीय सेवा के प्रति आत्मीयता में अभिवृद्धि।
7 छात्रों को भारतीय संस्कृति की महिमा और ऋषियों के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधानों का अध्ययन-अध्यापन कराना।
8 जीवन जीने की कला का शिक्षण, व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास, श्रेष्ठताओं, संवेदनाओं और सद्गुणों के प्रति रूचि जाग्रत करना।
9 बौद्धिकता (आई.क्यू.) भावनात्मकता (ई.क्यू.) और आध्यात्मिकता (एस.क्यू.) का विकास कर चिन्तन, चरित्र एवं व्यवहार का परिष्कार
10 स्वस्थ युवा- सबल राष्ट्र, स्वावलम्बी युवा- सम्पन्न राष्ट्र, शालीन युवा- समृद्ध राष्ट्र के उद्घोष का शिविरों के माध्यम से शिक्षण।