विद्यालयों में
भासंज्ञाप का कार्यक्रम विद्यालयों में संस्कृति मण्डलों का गठन का कार्य भी करता है। जिसका उद्देश्य शिक्षा के साथ विद्या, नैतिक मूल्यों, सांस्कृतिक चेतना एवं वैदिक/ऋषिप्रणीत संस्कृति का बोध, जागरण तथा अभिवर्धन करना है। विश्व मानव के रूप में अपने अस्तित्व का ज्ञान, सद्गुणों के प्रति आस्था, अध्यात्म-विज्ञान के शोधों से अवगत कराकर संस्कृतिनिष्ठ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। साथ ही छात्र-छात्राओं में नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों का विकास किया जाता है। प्रधानाचार्य, शिक्षक, छात्र-छात्राएँ एवं अभिभावकों से गठित इस मण्डल के
अतिरिक्त विद्यालय में निम्न प्रकार के कार्य भी किये जाते है-
1) सद्वाक्य आन्दोलन
2) ज्ञानदीक्षा समारोह
3) शिक्षक गरिमा शिविर
4) योग एवं स्वास्थ्य शिविर
5) व्यसन मुक्ति नाटक/प्रदर्शनी
6) व्यक्तित्व/प्रतिभा परिष्कार शिविर
7) सामूहिक स्वच्छता-श्रमदान
8) वृक्षारोपण/हरितिमा सम्वर्धन
9) सामूहिक जन्मदिवस संस्कार (विद्यार्थियों में संकल्पशक्ति के विकास हेतु, प्रत्येक माह)
संस्कृति मण्डल के प्रकार
1 छात्र संस्कृति मण्डल
2 छात्रा संस्कृति मण्डल
संस्कृति मण्डल में सदस्यों की संख्या
1 छात्र/छात्रा की संख्या- 11 या उससे अधिक
नैतिक एवं सांस्कृतिक रूप से जो अधिक योज्य और इसके विस्तार के प्रति गहन रूचि रखते हो
2 शिक्षकों की संख्या दो
3 प्रिंसिपल
4 अभिभावकों की
संस्कृति मण्डलों के कार्य
1 साधना एवं स्वाध्याय (सप्ताहिक)
2 जन्मदिवस संस्कार (मासिक)
3 महापुरुषों की जयन्तियाँ (जयन्ती तिथि पर)
4 विद्यालयों की सामूहिक श्रमदान
5 वृक्षारोपण (जुलाई/अगस्त/सितम्बर में)
6 स्वलेखन- सांस्कृतिक गतिविधियों पर नाटक, कविता/गीत, निबंध लेखन (मासिक)
7 नुक्कड् नाटक (मासिक)- ज्वलंत विषयों पर जन जागरुकता अभियान
8 भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा प्रचार पसार एवं आयोजनों में सहयोग
9 संचार तंत्र (सोशल मीडिया) वाट्सएप ग्रुप