छात्र छात्राओं में शिक्षा ही नहीं विद्या भी, शिक्षा ही नहीं संस्कार भी, शिक्षा ही नहीं आदर्श भी के सिद्धांतों को अपने में समाहित करने के उद्देश्य से यह परीक्षा सन् 1994 में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सर्वप्रथम हुयी। इसके बाद यह परीक्षा कार्यक्रम उत्तरोत्तर विकास करता गया और देश के कई राज्यों में इसका विस्तार होता गया और जो क्रम वर्तमान में भी सतत् चल रहा है।
1 विद्यालय स्तरीय विस्तार-
भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा की यह परीक्षा एक विद्यालय से प्रारम्भ होकर आज एक लाख विद्यालयों तक अपना स्थान बना चुकी है।
2 राज्य स्तरीय विस्तार-
सर्वप्रथम मध्यप्रदेश राज्य से प्रारम्भ हुआ और अत तक देश के कई राज्यों में विस्तार ले चुका है। जिसमें है- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, झारखण्ड, बिहार, पं.बंगाल, केरल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम, अरुणाचल, त्रिपुरा, मेघालय, अण्डमान निकोबार द्वीप ही नहीं बल्कि देश की सीमा पार नेपाल में भी विस्तार ले चुकी है। वर्ष दर वर्ष कई सूदूर प्रान्तों में भी परीक्षा आयोजन का क्रम भी चल रहा है।
3 भाषा स्तरीय विस्तार-
सर्वप्रथम यह परीक्षा हिन्दी भाषा में हुयी थी। अब यह देश की कई भाषाओं में भी सम्पन्न होती है। उन भाषाओं में है- हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, ओडिया, तेलगु, असमिया
4 कक्षा एवं पाठ्य पुस्तक स्तरीय विस्तार-
यह परीक्षा प्रारम्भ में माध्यमिक स्तर (कक्षा- 5 से 8) से प्रारम्भ हुयी। प्रारम्भ के चार पाँच वर्षों के बादे उच्च/उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के छात्र छात्राओं के लिए भी होने लगी। इसके बाद महाविद्यालयों के छात्र छात्राओं के लिए भी माँग होने लगी। जिससे अब यह परीक्षा पिछले 16 वर्षों से महाविद्यालयों में भी सम्पन्न हो रही है। इस प्रकार से वर्तमान में यह परीक्षा कक्षा- 5 से महाविद्यालय तक के छात्र-छात्राओं के लिए सम्पन्न होती है। पाठ्य पुस्तक प्रत्येक कक्षाओं के लिए एक-एक एवं भिन्न-भिन्न होता है।
5 प्रतिभागी छात्र-छात्राएँ स्तरीय विस्तार-
भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा 1994 में भोपाल से प्रारम्भ हुयी, उस वर्ष 20 विद्यालय से 2000 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया था। आज वर्ष 2024 में इस परीक्षा में प्रतिभागी छात्र-छात्राओं की संख्या 42,00,000 (ब्यालिस लाख) से भी अधिक रही है।
6 समन्वयक अध्यापक स्तरीय विस्तार-
परीक्षा का प्रारम्भ चार शिक्षकों के द्वारा हुआ। आज इस परीक्षा में समन्वयक शिक्षकों की संख्या 2,00,000 (दो लाख) से अधिक है।
7 संयोजक/समन्वयक स्वयंसेवी कार्यकर्ता स्तरीय विस्तार-
यह परीक्षा प्रारम्भ में 2-3 स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित हुयी है। आज प्रतिभागी छात्र-छात्राओं एवं परीक्षा केन्द्रों/विद्यालयों की संख्या कई गुना अधिक हो गयी है। जिसके संचालन के लिए अधिक स्वयंसेवी कार्यकताओं की आवश्यकता हो गयी है। वर्तमान में इस परीक्षा के संचालन में 2,00,000 (दो लाख) से अधिक स्वयंसेवी कार्यकर्ता संलग्र है।
8 संगठनात्क विस्तार-
परीक्षा संचालन के लिए 350 जिलों में एक-एक जिला समितियाँ एवं देश भर में 10 राज्य समितियाँ गठित की गयी है। जो इस परीक्षा से सम्बन्धित अधिकांश कार्यों को सम्पन्न करती है या व्यवस्था बनाती है।
9 धार्मिक रूप से विस्तार-
आज इस परीक्षा में विविध धर्म/सम्प्रदाय के छात्र छात्राएँ प्रतिभाग करते हैं। जिनमें है- सनातनी, ईसाई और मुस्लिम हैं।